देश में ये रंज कैसा
दिल जल रहे हैं ,
जान की प्यासी जान है जानी,
खून की प्यासी रात है जानी ,
डर गई है हर जान जवानी ,
टूट गई है हर शाख जवानी ,
लूट गया आम्मने चमन भी ,
जल गया रहम -ए -करम भी ,
रह गई बस राख है ,
जल गई जो खाख है,
रो रहा हर आम है ,
हस रहा जुर्म -ए -खास है .
देस में ए रंज कैसा ,
दिल जल रहे हैं .
लेखक : नागेश कुमार दुबे
"गर्वित भारतीय"
जय हिंद ................................
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