एहसास-ए -ज़िन्दगी
देख लिया हो संसार का सार जैसे ,
देख लिया हो संसार का सार जैसे ,
पूरा ब्रम्हाण्ड सुक्ष्म हो गया हो
रम गया किसी की धुन में एसे,
अंधे को नयन सुख मिल गया हो
विश्वास पर विश्वास की मुहर हो जैसे,
माथे पर सिलवटों का एहसास हो गया हो
समय का पहिया थम गया हो जैसे,
कोई लक्ष्मण रेखा खीच गया हो
लाँघ गया उसको भी एसे ,
कौआ कान ले गया हो
भौचक्का रह गया जैसे ,
कोई आँखों में धूल झोक गया हो
वक्त भी हर मर्ज़ की दवा हो जैसे ,
अरबों का सबक मिल गया हो
गिनती क्या होगी वक्त की ऎसे ,
कोई खज़ाना मिल गया हो
पूरी हुई कोई उम्मिद हो जैसे ,
इक प्यास का एहसास हो गया हो ,
आज ह्रदय प्रफुलित है जैसे ,
शारीर का दर्द सिमट गया हो
खो गया है कहीं किसी दरिया में एसे ,
अश्कों का वक्त गुज़र गया हो
बेहोश था कई जमानों से जैसे ,
एक ठोकर का एहसास हो गया हो.
नागेश कुमार दुबे
गौरवांवित भारतीय
nageshdubey.blogspot.com
नागेश कुमार दुबे
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